आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण नियम
सेहतराग टीम
संतुलित दिनचर्या शरीर के स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी और लाभदायक होती है। यह स्वास्थ्य के लिए एक तरह का वरदान है। आयुर्वेद रोगों के बचाव और स्वास्थ की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देता है। आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ शरीर दोषों, पाचक अग्नि, ऊतकों और विषों का संतुलन और दिमाग को प्राप्त होने वाला आंनद है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यक्ति को आहार, व्यव्हार, आचार तथा ऋतुओं से संबंधित कुछ सिद्धातों को अपनाना और उनका पालन करना चाहिए। इन सिद्धातों को दैनिक जीवन जीने के नियम कहते हैं।
स्वस्थ जीवन जीने के नियम-
- सुबह 5:30 तक या सूरज उगने के पहले जरूर उठ जाएं।
- रोज एक गिलास हल्का गरम पानी पिएं, लेकिन पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति ठंडा पानी पिएं और वात प्रकृति वाले के लोग हल्का गरम या गरम पानी पिएं।
- कड़वे दातूनों, जैसे नीम, बबूल आदि या आयुर्वेदिक टूथ पाउडर या टूथ पेस्ट से दांत साफ करें।
- जीभ को भी अच्छी तरह साफ करें।
- हर रोज थोड़ी देर व्यायाम और प्राणायाम जरूर करें।
- तिल के तेल से मालिश करें।
- व्यायाम के 15 मिनट बाद गरम पानी से स्नान करें। शरीर के लिए हल्का गरम पानी और सिर के लिए गुनगुना पानी का इस्तेमाल करें।
- यदि हो सके तो थोड़ी देर ध्यान भी लगाएं जो मन को शांत रखता है और पूरे दिन के कार्यों को सहज ढंग से करने में मदद करता है।
- इसके बाद नाश्ता कर लें।
- दोपहर 1 बजे से पहले दोपहर का भोजन करें। कुछ देर आराम करें।
- थोड़ी दूर टहलें या संभव हो तो ध्यान करें।
- 8 बजे शाम को सयंमित भोजन करें और 5 से 10 मिनट आराम करें।
- भोजन के बाद थोड़ी दूर टहलें।
- रात के भोजन के बाद लस्सी पिएं। कोई हल्का-फुल्का काम करें।
- इसके बाद रात 10 बजे तक सो जाएं। देर रात तक टीवी न देखें या किसी अन्य कारण से जागते न रहें।
(यह लेख डॉ. टी. एल. देवराज की किताब आयुर्वेद और स्वस्थ जीवन से साभार लिया गया है।)
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